लॉक डाउन मे जीवन | लॉकडाउन ने लोगों का जीवन पूरी तरह से बदला
कोरोना एक वैश्विक महामारी है और जानलेवा भी है।
कोरोना महामारी(covid 19) के संक्रमण को पुरे देश मे फैलने से रोकने के लिए सम्पूर्ण देश मे लॉक डाउन लगा दिया। जिससे की संक्रमण को रोका जा सके, और देश की जनता सुरक्षित रहे स्वस्थ रहे और अपने घरों मे रहे।
जनता के हित को देखते हुये भारत सरकार ने यह लॉक डाउन 22 मार्च से लागु किया, और सख़्ती से लॉक डाउन का पालन करने को कहा। लॉक डाउन की वजह से सबकुछ बंद हो गया, जो व्यक्ति जहा था वही रुक गया कही भी आना जाना बंद कर दिया गया था। लॉक डाउन कब तक चलेगा इसका कोई अंदाजा नहीं था, पहले 15 दिन का लॉक डाउन लगा फिर लोगों को लगा की खुल जायेगा लॉक डाउन इसलिए लोग लॉक डाउन के खुलने का इंतजार करने लगे और सोच ने लगे की 15 दिन बाद पहले जैसी सामान्य स्थिति हो जाएगी।
यह सब सोच कर देशवासियो ने अधिक रासन और खाने पिने का सामान खरीद के रख लिया। और जिनके पास पैसे नहीं थे उनकी अलग समस्या थी किसी को कुछ समझ मे नहीं आ रहा था की आगे क्या होने वाला है और बहोत लोग अपने गांव या अपने घर जाने के लिए परेशान थे। इंतजार मे ऐसे ही लोगों का समय बीत रहा था जो जहा था वही रुका रहा। लोग घरों मे अपने परिवार के साथ साथ समय बिताने लगे जिनका काम घर से हो सकता था वो घर से ही ऑनलाइन अपना काम करने लगे जैसे ही लॉक डाउन के खत्म होने की तारीख नजदीक आती तो अगले लॉक डाउन का निर्देश आ जाता की लॉक डाउन फिर 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। समय बीतने के साथ लोगों ने कोरोना से बच के रहना और घरों मे व्यस्त रहना सिख लिया, अब देश की जनता को अंदाजा होने लगा की लॉक डाउन ज्यादा दिन तक चलेगा और कोरोना भी जल्दी खतम नहीं होगा इसलिए लोगों ने समय के साथ अपना और अपने कार्य प्रणाली मे परिवर्तन कर लिया।
जी हां, वैश्विक महामारी कोरोना ने हम सभी के जीवन को प्रभावित किया है।
सब लोगों को इस लॉक डाउन मे समय मिल गया जो कभी संभव ही नहीं था, जैसे बच्चे पढ़ाई से छुटकारा चाहते थे नौकरी पेशा लोग नौकरी से छुट्टी चाहते थे, रोज की भाग दौड़ भारी जिंदगी से सबको लम्बे समय की छुटटी मिल गयी सिर्फ औरतों को छोड़ कर।
क्योंकि सब को खाना चाहिए और खाना घर की औरते ही बनाती है। और घर पर खाली बैठे सबको कुछ न कुछ खाने को चाहिए, खाली बैठे बैठे भूख भी अधिक लगती है जिससे की औरतों का काम और बढ़ गया और औरतों को कोई आराम नहीं मिला इस लॉक डाउन मे। बाहर से मिलने वाले सभी स्वादिस्ट भोजन और मिठाई सबकुछ बंद हो गया इसलिए यह सब घर पर ही बनाने की कोशिश करने लगे इंटरनेट के माध्यम से। बहोत लोगों ने बहोत कुछ सीखा इस लोक् डाउन मे, लोग अपने पसंद और शौक पर काम करने लगे जिसके लिए उनके पास वक्त नहीं होता था जो वक्त न मिलने की वजह से अधूरा रह गया था, सिर्फ सोचते थे की समय मिलेगा तब करेंगे और जो घर मे रह कर किया जा सके जैसे जिसको पेंटिंग का शौक था वो पेंटिंग करने लगे, जिसको गाना गाने का शौक है तो वो गाना गाने लगे, तो किसी का भोजन बनाने का शौक, किसी को डांस का शौक और बच्चों का तो दिनभर खेलने के लिए वक्त मिल गया। सब लोगो अपने अंदर के हुनर का बाहर निकलने मे लग गए, सबने अपने आप का व्यस्त रखना सीख लिया। कोरोना(coronavirus) के साथ जीना सीख लिया।