कोरोना महामारी जिसने तबाह किये कई शहर
कोरोना एक वैश्विक महामारी है जो चाइना से पुरे विश्व मे फैली है।
कोरोना नामक यह महामारी पुरे देश मे ना फ़ैल जाये इसलिये सरकार ने पुरे देश मे अचानक लॉकडाउन कर दिया। जिससे पुरे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। काम बंद होने की वजह सभी लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। दूसरा कोई विकल्प ना होने की कारण लोगों को शहर छोड़ कर गांव भागना पड़ा।
कोरोना ने लोगों के जीवन को तहस नहस कर दिया है। जो लोग शहरों मे बसे थे अपने गांव को छोड़ कर अपने सपने पुरे करने के लिए आये और दिन रात एक करके शहरों मे अपना आशियाना बनाया। कई लोगों की तो उम्र बीत गयी शहरों मे एक घर खरीदने मे, आज इस कोरोना महामारी की वजह से उन लोगों को यह सब छोड़कर जाना पड़ा।
लेकिन कोरोना की वजह से सब पुरे देश मे लॉकडाउन लगा दिया गया तो अब लोग अपने गांव भी बड़ी मुश्किल से जा रहे थे। ऐसे समय मे गांव जाते हुए लोगों का दृश्य बड़ा ही असहनीय था। लोग पैदल भी हजारों किलोमीटर दूर अपने गांव जाने को मजबूर थे। ऐसे समय पर गांव की याद भी बहोत आ रही थी।
लोग जैसे तैसे अपने गांव की ओर पलायन कर रहे थे, जिसका जैसे इंतजाम हुआ लोग गांव की तरफ जाने लगे, रेल बंद होने की वजह से लोग ट्रको मे जानवर की तरह भरके जाने को मजबूर हो गए। कई लोग मोटरसाइकिल से तो कई लोग ऑटोरिक्शा से भी गए। इतना लम्बा सफर हजारों किलोमीटर का इतनी ताप्ती धूप मे आसान नहीं था। इसमें कई लोगों ने रास्ते मे ही दम तोड़ दिया। तो कई लोगों ने घर पहुंचने पर दम तोड़ दिया, और कितनो की दुर्घटना होने की से मौत हो गयी और कई घायल भी हुये। कई लोग इसलिए मुश्किल भरे सफर मे एक दूसरे की संपर्क मे आने से कोरोना से संक्रमित भी हो गए।
जिनके पास ट्रको मे जाने के पैसे नहीं थे वो पैदल ही जाने लगे इसमें सब तरह की लोग थे औरते और बच्चे बूढ़े सब लोग थे।
ये कोरोना का कहर ही था जो लोग हजारों कलोमीटर पैदल भी चलने को मजबूर थे, इसलिए कम से कम अगर महामारी से यदि मौत भी हुई तो अपने गांव मे अपने घर पर अपने लोगो के बीच होगी और आगे जो भी होगा हम अपने परिवार के साथ रहेंगे अपने गांव मे, लोगो को जीवन का भय सताने लगा, और उसके बाद आर्थिक तंगी का भय सताने लगा।
कोरोना नामक यह महामारी अब कैसे कैसे दिन दखाएगी इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दीये है, और लोगो को “आत्म निर्भर” बनने का नारा दिया है। आम जनता जिसका रोज का गुजारा भी मुश्किल से होता है, ऐसी महामारी मे उनका जीवनयापन मै बहोत संघर्ष मे बीत रहा है।
निजी अस्पताल वालो ने इस महामारी को धन कमाने का अवसर बना लया है पहले तो अस्पताल मे कोरोना के मरीज को भरती नहीं करते है और अगर करते भी है तो लगभग 10 लाख तक का बिल थमा देते है मरीज के परिवार जन को इसमें भी मरीज के बचने के कोई उमीद नहीं देते यहाँ तक की कोरोना के मरीज के मरने के बाद मरीज का शव उसके परिवार को सौपा नहीं जाता सीधे समशान मे लेकन जाकर जाला दीया जाता है । जसके कारण मरीज के मरने पर कोई परिवार का अस्पताल पर ऊँगली भी नह उठा पता है । आम जनता के लए यह रकम बहोत बड़ी है इतने पैसो का इंतजाम कर पाना आम जनता के लए बहोत मुश्किल है इसलिए आम जनता दोनों ही सुरतो मे मरने के लए मजबूर है।
अगर इस कोरोना महामारी से बच भी गए तब आगे का जीवन बहोत संघष पूण रहेगा इस कोरोना महामारी ने पूरा जीने का तरीका ही बदल दीया है क्या करें क्या न करें? कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा है। यह वर्ष 2020 बहोत ही भयंकर दौर से गुजर रहा है।