शुभ रामनवमी – जय श्रीराम
हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को राम नवमी (Ram Navami) का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन नवरात्रि के पर्व का समापन होता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था.
“होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन। कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।” सभी देशवासियों को पावन पर्व रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
आप सभी को पावन पर्व रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह उत्सव सभी के लिए सौभाग्य व समृद्धि लेकर आए। प्रभु श्रीराम की कृपा सभी पर बनी रहे। जय श्री राम!
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥
राम, रामभद्र, या रामचन्द्र,
ऐसा स्मरण करते हुए मनुष्य पाप में लिप्त नहीं होता है और समृद्धि तथा मुक्ति प्राप्त करता है।
विजेतव्या लङ्का चरणतरणीयो जलनिधिः
विपक्षः पौलस्त्यो रणभुवि सहायाश्च कपयः।
तथाप्येको रामः सकलमवधीद्राक्षसकुलं
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे॥
लंका पर विजय पाने के लिए श्री राम को समुद्र पार करना पड़ा। रावण शक्तिशाली था और श्री राम की सेना वानरों की थी (सभी बाधाएँ श्री राम के विरुद्ध थीं)। आपदाओं के विरुद्ध श्री राम ने सभी राक्षसों का संहार किया। व्यक्ति की सफलता अपने क्षमताओं पर निर्भर करती है।
लक्ष्मीश्चन्द्रादपेयाद्वा हिमवान्वा हिमं त्यजेत्।
अतीयात्सागरो वेलां न प्रतिज्ञामहं पितुः॥
चन्द्रमा का सौन्दर्य जा सकता है, हिमालय बर्फ़ त्याग सकता है,
और सागर अपनी सीमा लांघ सकता है, पर मैं पिता से की गयी प्रतिज्ञा कदापि नहीं तोड़ सकता।
आनृशंस्यमनुक्रोशः श्रुतं शीलं दमः शमः।
राघवं शोभयन्त्येते षड्गुणाः पुरुषोत्तमम्॥
अहिंसा, दया, वेदशास्त्रों का ज्ञान, सुशीलता,
आत्मसंयम और शान्त चित्त, ये छः गुण राघव (मर्यादा पुरुषोत्तम) को शोभा देते हैं।
विक्लबो वीर्यहीनो यस्य दैवमनुवर्तते ।
वीरास्सम्भावितात्मानो न दैवं पर्युपासते ॥
जो कायर हैं वे केवल भाग्य पर निर्भर रहते हैं।
स्वाभिमानी तथा शूरवीर भाग्य की परवाह नहीं करते।
अनिर्वेदम् च दाक्ष्यम् च मनसः च अपराजयम्।
कार्य सिद्धि कराणि आहुः तस्मात् एतत् ब्रवीमि अहम्॥
मन की प्रफुल्लता, उत्साह और धैर्य कार्य की सिद्धि के साधन कहें जाते है। इसीसे मैं तुम से यह केहता हूँ ।