Ganga River | नमामि गंगे – हिमालय पर्वतों के बीच स्थित गंगोत्री
गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।
Ganga River का उदगम स्रोत गंगोत्री है। गंगा नदी कि लंबाई 2,525 कि.मी है। गंगा नदी हमारे देश के सबसे पवित्र नदी है। गंगा को देवी और गंगा मां के नाम से भी पुकारते हैं। हमारे भारतवर्ष में गंगा के प्रति लोगों के मन में बहुत श्रद्धा है लोग गंगा जी को भगवान की तरह मानते हैं। गंगाजल को घर में रखते हैं और हर पवित्र कार्य में गंगा जल का प्रयोग करते हैं। गंगा का जल इतना पवित्र है कि यह सालों तक रखने पर भी दूषित नहीं होता है, खराब नहीं होता है।
गंगा नदी (Ganga Nadi) का इतिहास बहोत ही गौरवशाली रहा है। गंगा जी को स्वर्ग की नदी कहां जाता है, लोग गंगा में नहा कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। भारत में लोगों की धारणा है कि गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं, और इंसान पवित्र हो जाता है। गंगा भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। ये उत्तर भारत क्षेत्र में ही विकसित हुआ है।
गंगा नदी का इतिहास बहुत ही पुराना है। गंगा से जुड़ी कई पौराणिक कथा है। इस कथा को पढ़ने के बाद ये तो पता चल गया कि गंगा नदी हमेशा से पृथ्वी(earth) पर नहीं थी बल्कि उन्हें पृथ्वी पर लाया गया था क्योंकि उनका जन्म तो स्वर्गलोक में हुआ था। तो सवाल ये उठता है कि वो इस धरतीलोक में कैसे आई ?इसका जवाब भी हमारे पास मौजूद है। दरअसल उस युग में बहुत प्रतापी राजा हुआ करते थे और राजा बलि के बाद राजा सगर भी उन्ही में से एक थे, उस युग में राजा अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए एक यज्ञ किया करते थे जिसे अश्वमेघ यज्ञ (Ashvamedha) भी कहा जाता था। इसमें ऐसा होता था कि एक घोडा राज्य में छोड़ दिया जाता था और वो घोडा जिस भी राज्य से गुजरता था वो राज्य यज्ञ करने वाले राजा का हो जाता था। पर इसी बीच अगर किसी राजा ने वो घोडा पकड़ लिया तो उस राजा को यज्ञ करने वाले राजा के साथ युद्ध करना पड़ता था।
एक बार राजा सगर ने भी ऐसा ही अश्वमेघ यज्ञ किया था और घोडा छोड़ दिया। पर उस समय भी इंद्र देव को ये भय था कि कही अगर घोडा स्वर्ग से गुजरा तो स्वर्ग का सारा राज्य राजा सागर के पास चला जायेगा और यदि कही घोडा पकड़ लिया तो राजा सगर से युद्ध जीतने की भी कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। ऐसी स्थिति में इंद्र देव ने घोडा पकड़ा और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया।
राजा सागर को इस बात का पता चला कि उनका घोडा किसी ने पकड़ लिया तो उन्होंने गुस्से में अपने साठ हज़ार पुत्रो को युद्ध के लिए भेजा। कपिल मुनि अपने आश्रम में ध्यान लगा कर बैठे थे। राजा सगर के पुत्र भी घोड़े की तलाश कर रहे थे और जब उन्होंने घोडा आश्रम में देखा तो आश्रम में हुई चहल पहल से मुनि जी का ध्यान टूट गया। राजा के पुत्रो ने कपिल मुनि जी पर घोडा पकड़ने का आरोप लगाया, मुनि जी ने गुस्से में आकर राजा के सारे पुत्रो को भस्म कर दिया। भस्म होने कि वजह से राजा सगर के पुत्रो का अंतिम संस्कार नहीं जा सका। अंतिम संस्कार न किये जाने के कारण सगर के पुत्रों की आत्माएं प्रेत बनकर विचरने लगीं। जब दिलीप के पुत्र और सगर के एक वंशज भगीरथ ने इस दुर्भाग्य के बारे में सुना तो उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे गंगा को पृथ्वी पर लायेंगे ताकि उसके जल से सगर के पुत्रों के पाप धुल सकें और उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके।
भगीरथ (Bhagirathi) ये निश्चय कर लिया कि वे अपने पूर्वजो की आत्मा को जरूर शांति दिलवाएंगे। इसलिए उन्होंने भगवान् की कठोर तपस्या की और उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान् विष्णु ने राजा भगीरथ को अपने दर्शन दिए। भगीरथ ने गंगा नदी को धरती पर लाने की प्रार्थना की। दरअसल राजा भगीरथ के पूर्वजो की आत्मा को शांति तभी मिल सकती थी जब उनकी अस्थियां गंगा नदी में बहाई जाये। इसलिए राजा भगीरथ (Bhagirathi) ने भगवान् विष्णु से ये वरदान माँगा था! पर भगवान् विष्णु ने कहा कि गंगा बहुत ही क्रूर स्वाभाव की है पर फिर भी वो बहुत मुश्किल से धरती पर आने के राज़ी हो गयी। पर मुश्किल ये थी कि गंगा नदी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि यदि वो धरती पर आती तो सारी धरती तूफान में बह जाती और नष्ट हो जाती।
ऐसे में भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) ने शिव जी से प्रार्थना की कि वो गंगा को अपनी जटाओं में बांध कर काबू करे ताकि धरती को कोई नुकसान न हो।जब गंगा बहुत तीर्व गति से धरती पर उतरी तब चारो तरफ धरती पर तूफान सा छा गया। ऐसे में भगवान् शिव (Lord Shiva) ने गंगा को अपनी जटाओं में समा कर एक पतली धार के समान धरती पर उतारा। इस तरह गंगा का धरती पर प्रवेश हुआ। अगर देखा जाये तो राजा भगीरथ के कारण गंगा नदी धरती पर आयी इसलिए उसे भगीरथी भी कहा जाता है। गंगा नदी की स्वर्ग से धरती तक की इस यात्रा कथा को पढ़ कर आपको पता चल ही गया होगा कि गंगा का हमारे जीवन में क्या महत्व है। इसकी पवित्रता आत्मा को भी शुद्ध कर देती है इसलिए गंगा नदी को हमेशा पवित्र रहने दे तभी वो धरती पर आकर समृद्ध रह पायेगी।
कितनी आसानी से हम गंगा जल का उपयोग कर लेते है लेकिन इसके पीछे भगीरथ जी का कितना बड़ा त्याग है। उनका किया गया एक त्याग आज न जाने कितनो को तृप्त करता है। इसलिए गर्व कीजिये अपनी संस्कृति पे और पूर्वज के किये गए त्याग समर्पण पे उन्होंने आने वाले पीढ़ियो के लिए सोचा। गंगा को साफ रखना हम सभी का कर्तव्य है क्यों की गंगा केवल जल नहीं बल्कि माँ हैए देवी है।
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