कोरोना वायरस: कोरोना अभिशाप या वरदान?
उद्योग कारखाने बंद होते जा रहे है, नौकरियां ख़त्म होती जा रही है।
कोरोना वायरस अभिशाप या वरदान? यह कैसा सवाल है कि कोरोना वायरस अभिशाप है या वरदान!
जहा एक तरफ लॉकडाउन लगा दिया गया है इस बीमारी के डर से, वहीं लोगों की मौत भी हो रहीं है, सब जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, धीरे धीरे भूखमरी फ़ैल रही है, उद्योग कारखाने बंद होते जा रहे है, नौकरियां ख़त्म होती जा रही है, लघु उद्योग भी बंद हो रहे है, लोगो की जंदगी बंद कमरों में बीत रही है तो क्या इसे अभिशाप कहना ठीक नहीं है?
वही दुसरी तरफ पर्यावरण शुद्ध होता जा रहा है, नदियाँ साफ हो रही है, वायु स्वच्छ हो रही है, गुम हुई पंछियों की चहचहाहट का लौटना, नदियों में नए प्रजाति का आगमन, पेड़ पौधों में हरियाली, (ozone layer)ओजोन लेयर में सुधार, हवा में ऑक्सीजन(oxygen) की मांत्रा का बढ़ना, भाग दौड़ भरी जंदगी से छुटकारा, शोर-शराबा से छुटकारा। कोरोना वायरस प्रकृति(nature) के लिए वरदान साबित हुआ है।
मनुष्य ने जिस तरह से पृत्वी पे उत्पात, तोड़-फोड़, मार-पीट, ख़ुराफ़ात मचा के रखा है उसे किसी ना किसी को तो रोकना ही था। ये कहना गलत नहीं होगा की कोरोना वायरस ने थोड़े ही समय के लिए ही सही कुछ हद तक ये सब रोका है। कोरोना वायरस(covid-19) ने मनुष्य को भविष के लिए सोचने के लिए वक्त दिया है की आगे आप क्या करना चाहते हो, पहले की तरह ही जीना है या बदलाव लाना है?
लॉकडाउन (lockdown) ने यह तो बता ही दिया है की जीवन जीने के लिए के क्या क्या जररुरी है और क्या क्या जररुरी नहीं है। जीवन जीने के लिए किस वस्तु की जादा जररूरत है जैसे अन्न ,जल और वायु।
जीवन के लिए कुछ ही चीजों की जररूरत होती है पर मनुष्य ने अपनी इच्छाओं को इतना बढ़ा दिया की उसे पूरी करने के लिए रात दिन भागना पड़ रहा है, पृत्वी के संशधनो का जररूरत से जादा इस्तेमाल करना पड़ रहा हैं।
कोरोना वायरस ने आने वाले युवओं को (Atmanirbhar) आत्मनिर्भर बनने के लिए मौका दे रहा है की भविष्य में आने वाले किसी भी चुनौतिओ के लिए तैयार रहे, वो किसी और के भरोसे ना रहे, आँखे मूँद कर पढ़ाई ना करे, कोई भी नौकरी करने से पहले ये जर्रूर देखें की भविष में क्या होगा जब वो काम बंद हो जाये तो, अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाए ताकि उन्हें किसी पर निर्भर ना रहे।
अब समय आ गया है की agriculture की तरफ अपना कदम बढ़ाए। आत्मनिर्भर बने। तो सवाल ये की कोरोना वायरस अभिशाप या वरदान?