भारत कि शिक्षा प्रणाली बहुत ही अद्भुत है। भारत में शिक्षा भिन्न भिन्न प्रकार से दी और ली जाती है, जैसे कि आरक्षण के आधार पर, धर्म के आधार पर, पैसो के आधार पर और सरकार के द्वारा। भारत में शिक्षा प्राप्त करना आज के समय में सबसे महंगा और कठिन कार्य है , क्योकि कि आज के समय में शिक्षा एक पैसा कमाने का बहोत बड़ा और उत्तम व्यापर बन चूका है।
जिसमे अभिभावकों को उनके बच्चो के भविष्य के बारे में डरा कर पैसे वसूल किये जाते है। इस व्यापार में ज्यादातर लोग लिप्त है। बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सभी अपनी क्षमता के अनुसार स्कूल और कॉलेज खोलकर बैठे है। और लोग भी अपनी क्षमता के अनुसार ही स्कूल और कॉलेज में अपने बच्चो का एडमिशन करवाते है। कुछ लोग तो सिर्फ समाज में अपना रूतबा दिखाने के लिए अपनी आय से अधिक महंगे स्कूल में एडमिशन ले लेते है और फिर बाद में पछताते है।
आज के समय में प्राइवेट स्कूल और कॉलेज अधिक हो गए है। इसका कारण यह है कि सरकारी स्कूल(government school) में अच्छी पढ़ाई नहीं होती है और न ही सरकार इनपर ध्यान देती है। सरकारी शिक्षको को वेतन भी अधिक मिलता है फिर भी वे अपना काम ढंग से नहीं करते है। यह भारत कि घटिया राजनितिक दलों कि वजह से हो रहा है। दूसरा पहलु यह भी है कि भारत में सभी मंत्री और नेता में से ज्यादातर नेताओ और मंत्रियो के अपने स्कूल और कॉलेज होते है जहा से वे और अधिक धन कमाते है।यह उनकी आय का अच्छा साधन होता है।
इसलिए वे सरकरी विद्यालयों पर ध्यान नहीं देते जिससे कि अभिभावक अपने बच्चो के बेहतर भविष्य के लिये प्राइवेट विद्यालयों(private school) कि ओर जाते है। जिससे कि इन निजी विद्यालयों के मालिको कि अत्यधिक कमाई होती है और इसमें कोई मंदी भी कभी नहीं आती है। देश कि जनता के पास दूसरा कोई पर्याय भी नहीं है।
विद्या जीवन को सुन्दर बनती है, विद्या सबके लिए आवश्यक है। व्यक्ति का पढ़ा लिखा होना अत्यंत आवश्यक है। अच्छी पढ़ाई और ज्ञान से बेहतर भविष्य कि कामना कि जा सकती है। इसलिए आज के समय में जिनके पास पैसे नहीं होते है वो कर्ज लेकर जी पढ़ाई करते है। विद्या बहुत ही उत्तम पर्याय है मनुष्य के लिए। “मनुष्य को धन कि रक्षा करनी पड़ती है लेकिन विद्या मनुष्य कि रक्षा करती है।“
आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि निजी स्कूल अब विद्यालय नहीं एक मॉल हो गए है। वहा किताबे बिकती है, कपड़े बिकते है, जूते बिकते है, मोज़े बिकते है, ट्यूशन के मास्टर बिकते है, कुछ स्कुलो में धर्म भी बिकता है, और सबसे अंत में शिक्षा बिकती है। और ये सारे सामान लागत मूल्य से दस गुना अधिक मूल्य पर बिकते है।
अब तो निजी स्कूल वाले भी अपने स्कूल में ठीक से नहीं पढ़ाते है जिससे कि विद्यार्थियों को अलग से टयूशन लेना पड़े। स्कूल मास्टर अलग से ट्यूशन भी चलाते है और विद्यार्थियों को अपने ट्यूशन और कोचिंग में बुलाते है। जिसकी वजह से अब कोचिंग का भी एक बहोत बड़ा बाज़ार अस्तित्व में आ गया है और जोरो से चल रहा है। हर चीज कि कोचिंग सुरु हो गयी है। लॉकडाउन में स्कूल और कोचिंग वाले अब ऑनलाइन आकर पढ़ाई करवा रहे है जो कभी सामने प्त्यक्ष रूप से सामने रहकर अच्छे से नहीं पढ़ाते थे।
शिक्षा नागरिकों की मुलभूत आवश्यकता है। सामाजिक बंधनों, बुराइयों और कुरीतियों के खात्मे की दिशा में शिक्षा एक बड़ा हथियार है। शिक्षा सामाजिक एवं वैयक्तिक शोषण तथा अन्याय के खिलाफ लड़ने और संघर्ष की ताकत प्रदान करती है।