कल तुमसे बात हुई। मेरे सुख दुःख के सम्बन्ध में पूछा। धन्यवाद! बहुत सारी बाते मन में है, सबकुछ फोन पर कहना मुश्किल है। सोचा पत्र ही लिख दू। अब मै अपना दुखड़ा क्या रोऊ? चलिए इस बार कुछ अच्छी बाते साझा करता हूँ। डिजिटल क्रांति का असर हमारे गॉव मे भी दिखाई पड़ने लगा है। मोबाइल के द्वारा रोज नयी सूचनाये हम तक पहुच रही है। स्वच्छ ग्राम, स्वस्थ ग्राम परियोजना घर घर तक पहुच गयी। गॉव के लोग भी सिक्षा रोजगार खेती के नए औजार और आधुनिक खेती कि पद्धतियों को जानने लगे है। घर घर में शौचालय जैसी सुविधा के प्रति लोग जागरूक होने लगे है।
हा लेकिन अब भी कुछ परेशानियां अब भी वही कि वही है। पिने का, पानी दूर से लाना पड़ता है। मेरे यहाँ विद्यालय तो है पर उसमे आवश्यक सुविधाए नहीं है। महाविद्यालय तो हमारे गॉव से बहुत दूर है। तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि तुम्हारे पास अत्याधुनिक और अच्छी सुविधाएं है और विकसित तकनीक है। तुम्हारी दिन दुगुनी और रात चौगुनी उन्नति हो रही है। यातायात के साधन, पक्की और चौड़ी सडके, बड़े बड़े shopping माल और चौबीस घंटे बिजली कि सुविधा।
कभी कभी मन बहुत उदास हो जाता है, कि एक जमाना था मेरे यहाँ बहुत खुशहाली थी। चारो तरफ हरियाली थी पर अब पहले जैसी रौनक नहीं रही। मै असुविधा, बेरोजगारी आपसी झगडे, गुटबाजी, अशांति जैसी समस्याओं से घिरता जा रहा हूँ। यहाँ के कुछ अशिक्षित और अल्पशिक्षित लोग परिवार कल्याण के प्रति आज भी उदासीन है। जनसँख्या भी बढ़ रही है। उनके लिए यहाँ काम नहीं है। रोजगार कि तलाश में लोग शहर कि ओर जा रहे है। यहाँ काम के लिए मजदुर नहीं मिल रहे है। शहरी चमक धमक और आधुनिक सुविधाओं कि ओर आकर्षित होकर गॉव को छोड़कर शहरो कि तरफ जा रहे है। यहाँ पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाए भी नहीं है। बीमारिया है पर पर्याप्त मात्रा में सुसज्ज और अच्छे अस्पताल नहीं है। लोगो को ठीक समय पर दवा नहीं मिल पाती है।
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। भला तुम्हारी स्थिति क्यू न बदलती, धीरे धीरे और भी विकास होगा। माना कि कुछ परेशानियां है, चिराग तले अँधेरा है। जिन बस्तियों में जिन हालातो में वे रहते है, तुम सुनोगे तो और बेचैन हो जाओगे। मेरे यहाँ कि दिन ब दिन बढ़ती भीड़ से मै परेशान हो गया हूँ । जिस चमक दमक कि बात तुम कर रहे हो, वह सबको कहा उपलब्ध है, तम्हारे यहाँ से जो यहाँ आते है बाद में कई बार पछताते है।
मै चाहता हूँ कि तुम अपने लोगो को समय रहते अपना महत्त्व समझाओ। छोटा परिवार सुखी परिवार कि बात अब उनकी समझ में आ जानी चाहिए। तुम उन्हें बुरइयो से दूर रखकर विभिन्न कौशलो, कंप्यूटर सम्बंधित जानकारी, विकसित करने कि ओर ध्यान दो। खेल तो ग्रामीण जीवन कि आत्मा है। दौड़ना, तैरना, पेड़ो पर चढ़ना उतरना तो के बच्चो कि रग रग में बसा है। आज कितने विख्यात खिलाड़ी गॉव से ही आगे बढे है। उनको प्रोत्साहन करना तुम्हारी नैतिक जानकारी है। खेल सम्बन्धी मार्गदर्शन देकर हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर प्रगति कर सकता है। अपने गॉव को एक परिवार समझ कर उसे विकसित करने का प्रयास करना होगा। तुम्हारी और मेरी मूल समस्या का कारण दिनोदिन बढ़ती आबादी, अशिक्षा और गरीबी है।
मेरे यहाँ लोग रोजगार कि तलाश में आना कम कर दे। तुम गॉव वालो को सहकारिता का महत्त्व समझाओ। सहकारिता पर आधारित छोटे छोटे व्यवसाय अपने यहाँ सुरु करवाओ। कृषि आधारित अनेक लघु उद्योग फल उत्पादन, औषधीय वनस्पति कि खेती, पशुपालन जैसे अनेक व्यवसाय सुरु किये जा सकते है। कितने भाग्यशाली हो कि तुम परदुषण मुक्त वातावरण में रहते हो। न धुआ न वाहनों कि आवाज़, हर भरे पेड़ ये सब चीजे तुम्हारे पास है। रात में तारो भरा आसमान तो सबेरे उगते सूरज के दर्शन कितनी सहजता, सरलता से हो जाते है। हम तो इमारतो के जंगल में बदल गए है। खुला आसमान, बड़ा मैदान हमारे लिए कितने अनमोल एवं दुर्लभ हो गए है, ये तुम नहीं समझ सकते। तुम्हारे तहसील और क्षेत्र के लोगो को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र का विकास करे। तुम्हारे यहाँ जो बच्चे अभी विद्यालयों में पढ़ रहे है उन्हें सही दिशा, उचित मार्गदर्शन दिया जाए तो भविष्य में वे ही हम सबकी ब्यावस्था कम कर सकते है।